दुनिया की यायावर जातियों को लेकर नई दृष्टि का विकास जरूरी - पद्मश्री डॉ शशि


संजा लोकोत्सव में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ


उज्जैन। प्रतिकल्पा द्वारा आयोजित संजा लोकोत्सव के अंतर्गत 14 सितम्बर अंतरराष्ट्रीय अन्तरनुशासनिक संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सरोकार और संवेदनाएँ और हिंदी  विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन रोमा सांस्कृतिक विश्वविद्यालय, बेलग्रेड, सर्बिया के चांसलर पद्मश्री डॉ श्यामसिंह शशि ने किया। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने की। 

डॉ श्यामसिंह शशि ने अपने उद्बोधन में कहा कि दुनिया के बहुत भाग में यायावर जातियाँ फैली हैं। आज यायावर जातियों को लेकर नई दृष्टि का विकास जरूरी है। लोक और जनजातीय समुदायों की भाषिक बहुलता, संस्कृति और साहित्य के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। जनजातीय साहित्य के अनुवाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 

कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि संजा पर्व सृष्टि का उत्सव है।  प्रतिदिन नए निर्माण औऱ नई आशा के संचार का सन्देश इसमें निहित है। संध्या की उपासना पारम्परिक उपासना है, जो इस पर्व की पहचान है। 

विषय प्रवर्तन प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विविध लोक एवं जनजातीय संस्कृतियों का जैविक समुच्चय है। इसके निर्माण में न जाने किस सुदूर अतीत से विविध जनसमुदायों की सहभागी भूमिका चली आ रही है। भारत की सही पहचान लोक एवं जनजातीय भाषा और संस्कृति के बिना नहीं हो सकती है। जनजातीय समुदाय से उनकी संस्कृति, परम्परा और कलारूपों का रिश्ता इतना नैसर्गिक और जीवन्त है कि उनके बीच विभाजन रेखा खींच पाना असंभव है। भारत में निवासरत पाँच सौ से अधिक जनजातियाँ प्राचीन युग से अपने संस्कृतिमय जीवन का निर्वाह कर रही हैं। उनके सरोकार और संवेदनाओं को लेकर विमर्श की जरूरत है।    

लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति और हिंदी : सरोकार और संवेदनाएँ पर केंद्रित संगोष्ठी में  दस से अधिक राज्यों के अध्येता भाग ले रहे हैं। 

अतिथि स्वागत संस्था के अध्यक्ष श्री गुलाब सिंह यादव, मुख्य समन्वयक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, मानसेवी निदेशक प्रतिकल्पा डॉ. पल्लवी किशन एवं सचिव कुमार किशन ने किया।

संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया और आभार प्रदर्शन श्री गुलाब सिंह यादव ने किया। 

उद्घाटन के पश्चात तकनीकी सत्र डॉ भगवतीलाल राजपुरोहित की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। सत्र में डॉ कला जोशी, इंदौर और डॉ विनोद मिश्रा सुरमणि, दतिया ने व्याख्यान दिए। 

रविवार को होंगे तीन तकनीकी सत्र 

15 सितम्बर को प्रातः काल 10 : 30 से संध्या 5 बजे तक तीन सत्रों में व्याख्यान एवं शोध पत्र प्रस्तुति होगी। विशेषज्ञ वक्ता के रूप में डॉ पूरन सहगल, मनासा, डॉ शिव चौरसिया, उज्जैन, नारायणी माया बधेका, बैंकाक, थाईलैंड, डॉ वेदप्रकाश दुबे, मुंबई, डॉ ललित शर्मा, रायपुर, छत्तीसगढ़, शिशिर उपाध्याय, बड़वाह, डॉ जगदीश चन्द्र शर्मा, डॉ उर्मिला शिरीष, भोपाल, अनूप तिवारी, रायपुर व्याख्यान देंगे। आयोजन में सक्रिय सहभागिता का अनुरोध मानसेवी निदेशक प्रतिकल्पा डॉ. पल्लवी किशन एवं सचिव कुमार किशन ने किया है।