जलवा......ये कैसा राजा....कैसी प्रजा और व्यवस्था का तानाबाना...

*✍जलवा🏹*


*"तड़तड़ी"*


*"ये कैसा राजा , कैसी प्रजा और व्यवस्था का तानाबाना"*


सभी जल्वेदारों को जलवा प्रणाम ।🙏


कॉफी दिनों बाद मैं आपका अपना जलवा लेकर हाज़िर हूँ। आज मैं जिस विषय से आपको रूबरू करवाने जा रहा हूँ उससे इस शहर का हर बाशिंदा दो-चार रोज ही हो रहा है परेशान हो रहा है और जिम्मेदार अफ़सर (राजा) प्रजा (जनता जनार्दन) को मुसीबत में देखते हुए भी कुछ करने को तैयार नहीं है और हद तो तब हो जाती है जब परेशानी का सबब(कारण) बनी कम्पनी से करोड़ों की राशि पेनल्टी के रूप में वसूल कर ली जा रही है जिससे  परेशान हलाकान शहर की आवाम को क्या फायदा ?


*"अंधेर गर्दी चौपट राजा".....*


 जी हाँ उक्त मुहावरे को मैंने थोड़ा सा तब्दील किया है  *" अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा"* असल मुहावरा ये है लेकिन वर्तमान दौर में ये मुहावरा अपना रूप परिवर्तन कर चुका है, चोला बदल चुका है। वर्तमान में नौकरशाही पर अंधेरगर्दी ऐसे हावी है कि इन्हें किसी का डर भय नहीं है और बेखौफ़ हो कर ये हुक्मरान अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं और बेचारी आवाम जनता सब कुछ देख समझ कर भी चुप है और जो बोलता है उस पर झूठी कार्यवाही थोप दी जाती है।


*"एक बेज़ार कम्पनी फिर से गुलज़ार"....*


स्मार्टसिटी के नाम पर उज्जैन में पिछले छः महीनों में जो हुआ और आज भी हो रहा है वो जनता के लिए तो दुःखदाई रहा लेकिन आला अफसरों के लिए सुखदाई रहा है। एक कंपनी टाटा को पूरे शहर में स्मार्ट सिटी के तहत सीवरेज बिछाने का काम दिया गया है। जिसके तहत जो समय सीमा कम्पनी को दी गई थी उसमें ना तो कम्पनी ने काम किया और जो थोड़ा बहोत काम किया उससे शहर स्मार्ट होने की जगह खड्डेदार हो गया है। *"ऐसा कहे कि होना था हेमामालिनी के गालों जैसा और हो गया ओम पुरी के गालों जैसा।"* लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार टाटा वालों को मौके पर मौके दिए जा रहे हैं शायद ये *"टाटा नमक"* का हक़ अदा कर रहे हैं। बड़ी नेहमतों से जिन गलियों और मुख्य मार्गों को पक्की सड़कें नसीब हुईं थीं उनके हाल ऐसे हो गए हैं कि लोगों ने तो घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया है। फ्रीगंज के ज्योति नगर कॉलोनी में विद्युत मंडल के एक अधिकारी तो कार्यालय तक नहीं जा पा रहे क्योंकि वो शारीरिक कमजोरी के कारण ऑटो से आना जाना करते हैं और सड़क की ख़ुदाई के कारण उनके निवास तक ऑटो जा ही नहीं पा रहा है। *ऐसे में टाटा पर उन्हें शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण भी ठोकना चाहिए।* ख़ैर अब जब लोग परेशान हो रहे हैं तो हमारे शहर के जिम्मेदारों ने टाटा को 3 करोड़ की राशि की पेनल्टी ठोकने की कवायत की है।


*"प्रश्न कई लेकिन उत्तर निरुत्तर".....*


अब यहाँ कई प्रश्न कौंध सकते हैं आप सुधियों के जहन में....जैसे नरकनिगम द्वारा ठोकी गई इस करोड़ों की राशि से भला किसका होगा? क्या ये राशि शहर के परेशान लोगों को बाटीं जाएगी ? या इसमें भी खेल होगा ? क्या इस राशि से खराब हो चुकी सड़कों की मरम्मत की जाएगी ? ऐसे कई सवाल हैं जिनके उत्तर निरुत्तर हैं और भविष्य के गर्भ में क़ैद हैं। इसी कम्पनी को दूसरा ठेका भी दिए जाने की चर्चा भी जोरों पर है।


*" जिम्मेदारों की दूरंदेशी या अर्थ लोभ"...*


सूत्रों से ऐसी ख़बर बाहर आई है कि फेल प्रोजेक्ट सीवरेज के काम मे ढीली साबित हो रही टाटा को ही एक दूसरा ठेका भी दिया गया है और ये ठेका बारिश में खराब हुई सड़कों की मरम्मत का है। जो कम्पनी सीवरेज में फेल होती नज़र आ रही है उसी को दूसरे प्रोजेक्ट की भी चाबी सौंपना ये नरकनिगम के जिम्मेदारों की दूरंदेशी की समझ है या फिर अर्थ का लोभ ? ये समझ से परे है। हालांकि जनता की खून पसीने की कमाई ये जिम्मेदार पूर्व में *"तापी"* पर भी लुटा चुके हैं और उसे भी एक नहीं कई मौके दिए गए अर्थ लाभ के चलते। लेकिन नतीजा हमेशा की तरह सिफ़र ही रहा है। टाटा तापी दोनों कम्पनियों की राशि और कर्मगुण भी समान हैं ऐसे में हुक्मरानों की चाँदी है और जनता का मरण ही है। 


*"षड्यंत्र के खेलों में ही पड़े जिम्मेदार"...*


अब यहाँ गौर तलब तो ये है कि षड्यंत्रों के प्रपंच में जिम्मेदार ऐसे उलझे हुए हैं कि उन्हें परेशान जनता की सुनने की फ़ुर्सत ही कहाँ है और कोई आम नागरिक इनकी जिम्मेदारी का इन्हें एहसास करवा बैठे तो ये हुक्मरान अपने हुक्म से अधिनस्त को आम नागरिक की झूठी शिकायत करवाने से भी बाज नहीं आते। पिछले दिनों एक सम्भ्रांत अभिभाषक और पत्रकार के साथ ऐसा ही हुआ एट्रोसिटी एक्ट में झूठा मुकदमा आला अधिकारी ने दर्ज करवा दिया। अब ऐसे में आवाम का कौन रखवाला ? हालांकि ये षडयंत्र निकला विभाग के गर्भ से ही।


*"दु पे दु या दु पे ती"...*


दरअसल जो एक्ट्रोसिटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा आला अफसर की मेहरबानी से वकील पत्रकार साथी पर लादा गया उसका जन्म स्थल नरकनिगम ही था। इस मामले के करीब 15 दिन पहले एक अस्थाई कर्मचारी (पत्रकार पर हमले में ज़मानत पर चल रहे हमलावर)ने विभाग के ही अफ़सर पर दबाव बनाने के लिए अफ़सर के खिलाफ़ ऐसा ही झूठा शिकायती आवेदन एट्रोसिटी एक्ट के तहत दिया था जिसकी जाँच आज भी जारी है। इस आवेदन के बाद निगम के गलियारों में काफी सनसनी मची थी और इसी षड्यंत्र को हथियार बना कर अपनाया गया अभिभाषक पत्रकार के खिलाफ़। तो जब ज़िम्मेदार ही ऐसा प्रपंच करेंगे, भृष्ठो का साथ देंगे , आर्थलोभ में रहेंगे तो बेचारी जनता का तो जनार्दन (भगवान) ही है बस।


चलिए अब चलता हूँ फिर मिलने के वादे के साथ , लेकिन तब तक आप अपना जलवा क़ायम रखें दुनिया जले तो जलने दें।


आप जल्वेदारों में से एक जल्वेदार.....
*जय कौशल ✍🧐🏹*
उज्जैन (म.प्र.)
09827560667
07000249542