पुलिस से परेशान यूनिवर्सिटी डीआर ने किया बंगले पर कब्जा, कहा खाली कर दूंगा... पहले मेरा भवन पुलिस से कब्जा मुक्त कराओ

उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय एक बार फिर बंगले को लेकर चर्चा में आ गया है। विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव रविशंकर सोनवाल ने  डी टाइप बंगले पर बिना आवंटन आदेश के कब्जा कर लिया है और इसकी सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को दे दी है । बता दें कि सोनवाल भवन आवंटन समिति के सचिव है।  विश्वविद्यालय ने उन्हें पूर्व में ई टाइप बंगला आवंटन किया था। इस बंगले में एएसपी नीरज पांडे रहते थे। जिनका तबादला होने के बाद उज्जैन आए एएसपी रूपेश द्विवेदी ने बिना आवंटन के उक्त बंगले पर कब्जा कर लिया। इसके बाद बंगले पर कब्जे  को लेकर जमकर विवाद हुआ था, लेकिन जीत पुलिस के डंडे की हुई।। इससे परेशान सोनवाल ने भवन आवंटन समिति के सचिव पद से इस्तीफा दे दिया था।।
मेरा दिलाओ, खाली कर दूँगा
रवि शंकर सोनवाल डी टाइप बंगले पर अस्थाई रूप से कब्जा लेने की सूचना विश्वविद्यालय कुलसचिव को दी। साथ ही उन्होंने पूर्वर्ती घटना का हवाला देते हुए लिखा है कि पुलिस अधिकारियों ने उनको आवंटित ई टाइप बंगले पर कब्जा कर लिया है। जिसके लिए उन्होंने काफी पत्राचार किया, लेकिन प्रकरण का समाधान नहीं हुआ। इसलिए जब तक उनके आवंटित भवन की चाबी उन्हें नहीं मिलेगी। वह डीटाइप बंगले का उपयोग करेंगे।
 पुलिस और विवि अधिकारी में टकराव 
विक्रम विश्वविद्यालय के ई टाइप बंगले में लंबे समय से पुलिस विभाग का कब्जा है। वर्तमान में इसमें रूपेश द्विवेदी निवासरत है जिन्हें यह बंगला अधिकृत तौर पर आवंटन नहीं हुआ था। दरअसल इनसे पूर्व एएसपी नीरज पांडे उक्त बंगले में रहते थे। वह बंगला खाली कर कर गए। तो विवि प्रशासन ने उक्त बंगले को उपसचिव रविशंकर सोनवाल को आवंटित कर दिया। रविशंकर अपना सामान लेकर बंगले पहुंचे। तो वहां पर एसपी रूपेश त्रिवेदी की नेम प्लेट टू की हुई थी। इसके बाद विवि के सभी एकजुट होकर बंगला खाली कराने पहुंचे और इस दौरान पुलिस और विवि अधिकारियों में में जमकर हुआ। कई दिनों तक हंगामा चलता रहा और पुलिस अधिकारियों ने बंगले पर जबरिया कब्जा कर लिया। इसके बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को ठंडा कर बंगले पर कब्जा कर लिया।
भवन आवंटन में में धांधली  मनमानी


विक्रम विश्वविद्यालय में भवन आवंटन हमेशा ही अधिकारियों के मनमाने और धांधली पूर्ण होते हैं। विक्रम विश्वविद्यालय की आवंटन समिति की अंतिम बैठक में भी आवंटन में जमकर धांधली हुई। रविशंकर सोनवाल ने समिति के सचिव रहते हुए खुद को भवन आमंत्रित किया। साथ ही अन्य लोगों को भी भवन आवंटित कर दिए। जो भवन खाली नहीं हुए थे। इसके बाद इन भवनों पर जमकर विवाद हुआ।