जल की बात जलाशय पर -जल योद्धा उमा शंकर पांडे आँखों में पानी बचेगा तभी पानी बचेगा –टिल्लन रिछारिया

खजुराहो, 16 मार्च l जखनी जलग्राम के जल प्रहरियों, खजुराहो निवासियों और सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के गावों के जागरूक नागरिकों ने जलाशय पर बैठ कर जल संचयन, संरक्षण और जल श्रोतों के पुनर्जीवन के लिए विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो में चिंतन-मंथन किया l जल योद्धा उमाशंकर पांडे के संयोजन में विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य जमुना प्रसाद मिश्रा, महोबा से समाज सेवी मनोज तिवारी, टिल्लन रिछारिया, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश से लोकेश शर्मा और स्थानीय प्रबुद्धजनों ने तालाब, बावड़ी और वट वृक्ष को जखनी के तालाबों से लाये जल से जलांजलि देकर चिंतन बैठक का शुभारम्भ किया l मतंगेश्वर महाराज को अध्यक्ष मानते हुए डॉ. शिव पूजन अवस्थी ने सञ्चालन करते हुए कहा कि ऋषि प्रणीत भारतीय संस्कृति ही मानव जनित वायरस प्रकोप से आज दुनिया को बचा सकती है l


मुख्य अतिथि योगाचार्य जमुना प्रसाद जी ने कहा कि भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश से सृष्टि और मानव शरीर बना है जिसमें जल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जल में चार तत्व अन्तर्निहित हैं l जल के साथ-साथ बाकी तीन तत्वों की पूर्ति शरीर को जल से हो जाती है l इसलिए जल को बचाना अतिआवश्यक है और इसकी पहल हमें अपने से ही करनी होगी l महोबा से पधारे विशिष्ठ अतिथि समाजसेवी मनोज तिवारी ने कहा कि जल है तो कल है l बिना जल जीवन की सम्भावना मुश्किल है l जल बचाना हम सब की जिम्मेदारी है l


संयोजक उमाशंकर पांडे ने कहा कि पृथ्वी और शरीर के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से में पानी है, सभी पदार्थों में स्वाद रूपी रस जल के कारण ही है लेकिन संसार में पीने योग्य पानी केवल 2.5 प्रतिशत है जिसमें 0.08 प्रतिशत तत्व शरीर के लिए उपयोगी है फिर भी हमारा जनमानस जल श्रोतों से दूर है, वातानुकूलित कमरों में बैठने से जल संकट का समाधान नहीं होगा l जल बचाने की बात हमें जलाशय पर आकर ही करनी होगी l जल का बाजारीकरण जल समस्या का समाधान नहीं है l निशुल्क पानी पिलाने वाले भारत में बोतल बंद पानी 15 रूपये से 150 रूपये बोतल तक बिक रहा है आने वाले समय में जिसका कारोबार 160 बिलियन को छू जाने वाला है l गरीब जल कहाँ से पिएगा, किसान कहाँ से खेत को पानी देगा ये बड़े ज्वलंत प्रश्न हैं l बांधो में नदियों को बाँध कर जल को अपने अधीन करने का कार्य हो रहा है तो किसान के लिए भू जल कहाँ से रिचार्ज होगा और जल के लिए पराधीन किसान फिर आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा या फिर पानी को गहरे बोर करके प्राप्त करेगा जिससे खेती किसानी महंगी तो होगी ही साथ ही जल स्तर निरंतर गिरता चला जाएगा l लेकिन जखनी ने जल समस्या का निदान भी ऋषि प्रदत्त सामुदायिक स्तर पर परम्परागत जल संग्रह श्रोतों को पुनर्जीवित करके कर  लिया है l जखनी ने खेतों, तालाबों और कुँओं में वर्षा जल और गाँव के पानी को संग्रह करके भू जल स्तर 10-15 फुट पर स्थिर कर लिया है l हम सभी को जखनी की तर्ज पर बिना किसी आसरे के स्वयं ही फावड़े, कस्सी उठाकर खेत में मेड बनानी होगी और हर मेड पर पेड़ लगाना होगा तभी जल बचेगा, मानव बचेगा l


जखनी जलग्राम के निदेशक टिल्लन रिछारिया ने कहा कि अब आँखों में पानी नहीं बचा है यानी हम बशर्म हो गए हैं और अपने घर के कूड़े कचरे तक को जीवन दायनी नदी, तालाब, बावड़ी में अंधरे-उजाले में दाल कर दूषित करते हैं l हमें अपना चितन करना होगा अपनी आँखों का पानी यानी पानी के प्रति दर्द को देखना होगा नदी, तालाब बावड़ी और कुँओं को अपने आचरण से सुरक्षित करना होगा l


परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से पधारे लोकेश शर्मा ने कहा कि जब तक समाज जागरूक है तब तक ही प्राकृतिक संसाधन संरक्षित हैं l इस चितन बैठक की सहयोगी संस्थाओं में प्रमुख रूप से सहायक के तौर पर  ऋषि कुल आश्रम समिति, लवकुश नगर, श्री विज्ञान बाल विद्या समिति, लवकुश नगर, ओजस्वी फाउंडेशन, खजुराहो, पंडित रामस्वरूप उपाध्याय महाविद्यालय तथा खजुराहो डेवलपमेंट  एसोसिएशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही l