दो दिन से बच्चा भूखा था खाने की मदद मांगी तो फर्जी बोलकर मजाक उड़ाया तो स्वर्णिम भारत मंच ने महिला को भोजन पहुंचाया स्वनिर्माण कर 55 हजार लोगों तक भोजन पैकेट पहुँचा चुका है स्वर्णिम भारत मंच

दो दिन से बच्चा भूखा था खाने की मदद मांगी तो फर्जी बोलकर मजाक उड़ाया तो स्वर्णिम भारत मंच ने महिला को भोजन पहुंचाया
स्वनिर्माण कर 55 हजार लोगों तक भोजन पैकेट पहुँचा चुका है स्वर्णिम भारत मंच
उज्जैन। कोई बेबस है तो कोई बे-सहारा। कोई गरीब है तो कोई सिर्फ कागज में गरीबी दिखा कर मजे उड़ा रहा है, तो कहीं-कहीं असली हकदार के पास दिखाने को कागज तक नहीं है, जिसके कारण उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। लॉकडॉउन में ज्यादातर फजीहत उनकी हो रही है जो बाहर से यहाँ आकर किराए मकान में रहे हैं। उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है ना कोई काम धंधा है।
स्वर्णिम भारत मंच के ढांचा भवन क्षेत्र में रहने वाली एक महिला की अजीब दास्तां सामने आई जो मन को झकझोर करने वाली घटना थी। उक्त महिला ने अपने दो दिन से भूखे 5 साल के बच्चे के लिए खाने की मदद माँगी और सूखे राशन की सूची खाना वितरण करने वाली संस्था के कार्यकर्ता के पास भेजी तो उसने उसे फर्जी बोलकर मजाक उड़ाया।
स्वर्णिम भारत मंच के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडॉउन के कारण लोगों को बहुत दिक्कत आ रही है। किसी के पास सूखा राशन नहीं है तो किसी को भोजन बना हुआ चाहिए। प्रशासन के सहयोग से स्वयंसेवी संस्था मिलकर जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचा रही है। हमारे पास जानकारी में आया कि ढाँचाभवन क्षेत्र में रहने वाली एक महिला जिसका अपने 5 साल का एक बच्चा है उसने कहीं खाने की मदद के लिए सूचना की थी, पर वस्तुस्थिति जाने बगैर ही एक संस्था के कार्यकर्ताओं ने उसे फर्जी बोलकर उसका मजाक उड़ा दिया। जब यह बात स्वर्णिम भारत मंच को पता चली तो मंच द्वारा उक्त महिला की तत्काल मदद की गयी।
महिला बोली सरकार मदद कर रही है तो फोन किया
स्वर्णिम भारत मंच जब जरूरतमन्द महिला के पास पहुंचा तो उक्त महिला ने बताया कि मैं किराए के मकान में रहती हूँ। मेरे पति रोजगार के चलते बाहर है। लॉकडॉउन में आ भी नहीं पा रहे। पैसे भी नहीं है। एक महीने से जैसे-तैसे घर का सामान जुटाया, पर अब कुछ नहीं है। मेरा 5 साल का बेटा है, जिसे दो दिन से कुछ नहीें खिला पाई हूँ। कहीं से पता चला कि सरकार मदद कर कर रही है तो मैंने वाट्सअप पर सूखे सामान की लिस्ट दी थी पर उन्होंने ना सामान भेजा न खाने के पैकेट। मेरा बच्चा छोटा है इसलिए मदद मांग रही थी।
उक्त महिला का वाट्सप ग्रुप में मजाक उड़ाया। उसका स्क्रीनशॉट स्वर्णिम भारत मंच के पास सुरक्षित है।
गरीबों का हक मारने वालों पर कार्रवाही हो
स्वर्णिम भारत मंच किसी एक पक्ष की बात नहीं करता है। कई बार मदद मांगने के नाम पर लोग झूठ बोलते हैं, जिसके कारण सेवा देने वाली संस्था के कार्यकर्ता समझ नहीं पाते हैं कि असली जरूरतमंद कौन है और कौन नहीं। कभी-कभी भावुक क्षण तब उत्त्पन्न हो जाते, जब कोई सही व्यक्ति की आवाज मजाक बन जाती है।
देसाई नगर क्षेत्र में कंट्रोल की दुकान से गरीबों को मिलने वाला राशन दो युवक बुलेट से ले जा रहे थे जिनका फोटो वीडियो वायरल लोगों ने कर दिया था, जिस पर तत्काल संज्ञान लेकर खाद्य विभाग ने कार्रवाही की। ऐसी ही कार्रवाई और भी शहर में होना जरूरी है।
स्वर्णिम भारत मंच 55 हजार लोगों तक भोजन पहुंचा चुका है
स्वर्णिम भारत मंच के संस्थापक गुरु राष्ट्र संत कमलमुनि जी महाराज की प्रेरणा से 22 मार्च से लेकर अब तक स्वर्णिम भारत मंच बे सहारा, जरूरतमंद 55 हजार लोगों तक भोजन पैकेट पहुँचा चुका है। हालांकि स्वर्णिम भारत मंच १ अक्टूबर-2019 से वृद्धजनों, दिव्यांग सहित कई अशक्त के लिए घर पहुंच भोजन सेवा करता आ रहा है। इस कारण से स्वर्णिम भारत मंच को भोजन सेवा के लिए ज्यादा सूचना प्राप्त होती है। सीधे जब भी कोई सूचना स्वर्णिम भारत मंच तक आती है उस पर भोजन पहुंचाया जाता है।