एक-दूसरे के प्रति स्नेह भाव से हम सब मिलकर कोरोना संकट को मात देंगे - अशोक सोहनी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन द्वारा ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग का आयोजन)

एक-दूसरे के प्रति स्नेह भाव से हम सब मिलकर कोरोना संकट को मात देंगे - अशोक सोहनी
(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन द्वारा ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग का आयोजन)
उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन द्वारा ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग के मुख्य वक्ता अशोक सोहनी, मध्य क्षेत्र संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वैश्विक आपदा कोरोना में सामाजिक परिस्थितियों और पारिवारिक व्यवस्थाएं विषय पर अपने उद्बोधन में बताया कि अदृश्य शत्रु कोरोना से लड़ाई लड़ते हुए अनिश्चितता के वातावरण में हम सब चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहे हैं। हम लोगों को बताए जा रहे हैं निर्देशों का पालन करते हुए आत्मानुशासनपूर्वक जूट कर इसको हराना पड़ेगा। महानगर संघचालक श्रीपाद जोशी ने बताया कि फेसबुक एवं यूट्यूब चैनल के माध्यम से प्रसारित ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग में श्री सोहनी ने कहा कि संक्रमण के खतरे के कारण सोशल डिस्टेंसिंग के भाव को समझते हुए शारीरिक दूरी का पालन करना ठीक है परंतु इसमें पीड़ित व्यक्ति के प्रति प्रेम और सम्मान को बनाए रखते हुए, फिजिकल डिस्टेंस ज्यादा उचित शब्द है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी इसी आत्मीय भाव के कारण वर्षों पुराने मिले लोगों के नाम ध्यान रख लेते थे।
संकट की घड़ी में संघ के स्वयंसेवक संपूर्ण समाज के साथ मिलकर सेवा कार्य कर रहे हैं और आवश्यकमंद परिवारों एवं व्यक्तियों को राशन, सैनिटाइजर, मास्क, उपचार उपलब्ध करा रहे हैं। इसी प्रकार अपने प्राण संकट में डाल कर समाज की रक्षा कर रहे कोरोना योद्धाओं स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, पुलिस, प्रशासन मीडियाकर्मी आदि का मानसिक बल बना रहे, इस हेतु स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए सहयोग कर रहे हैं। उनके लिए काढ़ा, विटामिन सी की गोलियां, ग्लूकोस, छाछ की व्यवस्था की जा रही है। शहर की संस्था माधव सेवा न्यास द्वारा रोगियों के लिए रक्त संग्रह करने हेतु एंबुलेंस घर भेज कर लोगों से रक्तदान कराया गया और जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क आवास भी उपलब्ध कराया है।
इसी प्रकार स्वयंसेवकों ने घुमंतू जाति के बंधुओं हेतु जन जागरण, राशन, दवाई वितरण आदि जहां जैसी आवश्यकता थी, वह उपलब्ध कराई है। वास्तव में सेवा का सेवा का संस्कार यह स्वयंसेवकों का ही नहीं तो हमारे संपूर्ण समाज का संस्कार है। पूर्व में भी भीषण आपदाओं में संघ के स्वयंसेवकों ने समाज के साथ मिलकर नि:स्वार्थ भाव से सेवा की है। संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी ने स्वयं बंगाल में बाढ़ आने पर अपने पीठ पर सामान लादकर, लोगों को नदी पार करा सेवा कार्य का उदाहरण और आदर्श प्रस्तुत किया था। नर सेवा नारायण सेवा और सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जलें के ध्येय वाक्य को जीवन में उतारकर संघ ने प्रत्येक विपदा के समय सेवा कार्य किया। वर्ष1964 के बिहार का अकाल, 1977 आंध्र प्रदेश में तूफान, 1989 में मोरबी की बाढ़, 1995 फिरोजाबाद ट्रेन दुर्घटना, 1996 की दादरी चरखी विमान दुर्घटना जैसे अनेक संकटों में संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य कर अपने कर्तव्य का पालन किया। पीड़ित की सेवा ही हमारा धर्म है। इसी कारण वर्ष 1977 में सर्वोदय के नेता प्रभाकरण राव ने आर एस एस अर्थात रेडी फॉर सेल्फलेस सर्विस नाम दिया।
वर्तमान समय में हमारे मजदूर बंधुओं की पीड़ा हम सबके लिए कष्ट का विषय है। हमारे मजदूर बंधुओं के आवागमन के दौरान भी स्वयंसेवकों ने उनके भोजन, ठहरने और गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की है, परंतु वे जहां रहते हैं आसपास में छोटे-छोटे उद्योग धंधे आदि स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे गांव का पैसा, मानव बल संसाधन वहीं रहेंगे और बढ़ते हुए शहरीकरण की समस्याओं का भी समाधान प्राप्त हो सकेगा। इस हेतु समाज आधारित व्यवस्था निर्माण करने की आवश्यकता है। सरकारें इस हेतु नीति निर्माण एवं योजना बना रही होगी परंतु यह व्यवस्था समाज आधारित होना चाहिए। जल संग्रहण करके गांव में तालाब निर्माण कर जल संरक्षण को मजबूत करने की महती आवश्यकता है। स्वदेशी तकनीक का उपयोग कर हम हमारे अनुसंधान से, हमारे कौशल से, अपना बाजार, अपना पैसा, अपने संसाधन, हम ही उपभोक्ता आदि को आधार बनाकर गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी उत्पाद निर्माण कर जन आधारित जनसहयोग से अर्थव्यवस्था को एक नई गति और स्थाई व्यवस्था दे सकेंगे और हमारे मजदूर बंधुओं के साथ ही पूरे समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा और आत्मनिर्भरता का मंत्र सिद्ध होगा। इसी प्रकार गांव में जैविक खेती का पालन करके जमीन की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। गोपालन और गोउत्पादों के प्रयोग से हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकेगी और हमारे कृषक बंधुओं की समस्याओं का निवारण भी होगा। विदेशों में जंक फूड और फास्ट फूड के विपरीत शाकाहार, ताजा भोजन, हल्दी, नीम, मसाले प्रकृति आधारित जीवन शैली, परिश्रमी दिनचर्या आदि का प्रयोग तो हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। इसीलिए कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी हमारे शरीर की बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के कारण भारत में जनसंख्या के अनुपात में मौत एवं मरीजों की संख्या कम है।
स्वयंसेवक इस लॉकडाउन के समय में अपने परिवारों में कुटुंब शाखा लगा रहे हैं, जिससे उनके परिवार को संघ को और करीब से जानने का एक अच्छा अवसर प्राप्त हो रहा है। साथ ही घर में व्यायाम, प्राणायाम, आयुर्वेद का पालन करके हम अपनी भारतीय स्वदेशी पद्धतियों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। सामाजिक समरसता की दृष्टि से आज पूरा समाज सभी प्रकार के भेदभाव को भूलाकर सामूहिक रूप से इस लड़ाई को लड़ रहा है। संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब जी देवरस कहा करते थे कि दुनिया में यदि छुआछूत पाप नहीं है तो कुछ भी पाप नहीं है। परमात्मा ने यह समय हम सब को एक साथ आनंद में रहकर साथ साथ भोजन, भजन व्यायाम, प्राणायाम, योग करने का अवसर उपहार स्वरूप दिया है। वास्तव में यह सभी तात्कालिक तो है ही परंतु स्थाई व्यवस्था के आधार पर भारतीय जीवन शैली को अपनाकर हम पुन: विश्व में भारतीयता की बढ़ती हुई स्वीकार्यता को और गति देंगे। संपूर्ण समाज में स्नेह भाव भरकर एक साथ मिलकर हम इस कोरोना से युद्ध में जीतेंगे। श्री सोहनी ने आव्हान किया कि अपने भारत देश को विश्व में अव्वल बनाने का संकल्प लेकर हम सब अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध करें। महानगर संघचालक श्रीपाद जोशी ने बताया कि स्वयंसेवकों के साथ ही आम समाज ने भी इस ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग में शामिल होकर उद्बोधन को सुना।