500 लोगों के आयोजन की अनुमति की मांग उठाएंगे टेंट व्यापारी
कोरोना महामारी के कारण छाई तंगी से निपटने के लिए एमएसएमई के तहत मदद लेने का निर्णय
उज्जैन। शहर के सभी टेंट, गार्डन और मंडप व्यवसायी इन दिनों कोरोना महामारी के कारण तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। व्यापारियों ने निर्णय लिया है कि वे 500 लोगों के आयोजन की अनुमति देने की मांग सरकार से करेंगे और व्यापार को फिर खड़ा करने के लिए एमएसएमई के तहत सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ देने के लिए बैंकों से अपील करेंगे।
यह निर्णय श्री महाकाल टेंट-गार्डन एवं मंडप व्यवसायी संघ की मीटिंग में लिया गया। मंगलनाथ मार्ग स्थिति गुरु सांदीपनी गार्डन पर आयोजित मीटिंग में संगठन से जुड़े करीब दो दर्जन से अधिक व्यापारी मौजूद थे। संघ के अध्यक्ष सुरेश चौहान व संचालक ओमप्रकाश गेहलोत ने बताया कि इन दिनों शहर में कोरोना महामारी का असर नाममात्र का बचा है। प्रशासन द्वारा फिलहाल सिर्फ 50 लोगों की उपस्थिति में मांगलिक व अन्य आयोजनों की अनुमति दी जा रही है। बैठक में तय किया कि सरकार से 500 लोगों को अनुमति दिए जाने की मांग उठाई जाए। इसके लिए जल्दी ही केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, विधायक मोहन यादव एवं कलेक्टर को अलग-अलग एक ज्ञापन दिया जाएगा।
कोरोना महामारी के कारण इन दिनों समस्त टेंट व्यापारी मंदी से जूझ रहे हैं। इस साल भारी नुकसान होने के बाद अगले साल पर व्यापार की उम्मीद में व्यापारी आशान्वित हैं। अगले साल व्यापार खड़ा करने के लिए पूंजी की जरूरत होगी। इसके लिए श्री महाकाल टेंट-गार्डन, मंडल व्यवसायी संघ ने पिछले दिनों फेडरेशन ऑफ मप्र टेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी, जिसमें तय किया गया था कि सरकार द्वारा एमएसएमई के तहत रजिस्टर्ड व्यापारियों को प्राथमिकता के आधार पर लोन उपलब्ध करा रही है। मीटिंग में तय किया गया कि सभी व्यापारी एमएसएमई के तहत रजिस्टे्रशन कराएं, जिससे उन्हेें कर्ज लेने में सुविधा हो सके। साथ ही बैंक अफसरों से भी निवेदन किया जाएगा कि वे संगठन से जुड़े व्यापारियों को आर्थिक मदद करने में अग्रणी भूमिका निभाए। मीटिंग को दीपचंद सोनी, जगदीश बागड़ी, केशरीमल सैनी, सुमन सैनी, प्रदीप राव, मुकेश जोशी, परिवेश राय, राजेन्द्र सिंह राठोड़, प्रतीक गेहलोत, घनश्याम चौधरी एवं आशीष मल्होत्रा ने संबोधित किया। संचालन ओमप्रकाश गेहलोत ने किया एवं आभार मंगल कछावा ने माना।