90 दिनों से कोरोना संकट में भोजन सेवा कर रहा है स्वर्णिम भारत मंच 94 हजार भोजन पैकेट का निर्माण कर किया वितरण

90 दिनों से कोरोना संकट में भोजन सेवा कर रहा है स्वर्णिम भारत मंच
94 हजार भोजन पैकेट का निर्माण कर किया वितरण
उज्जैन। कोरोना संकट काल मे लगातार सेवा करते हुए स्वर्णिम भारत मंच ने बेघर बेसहारा लोगों को 94 हजार भोजन बनाकर कर वितरित किये। इस सेवा को 90 दिन पूरे हो चुके हैं। 22 मार्च से नगर पालिका निगम ने भोजन वितरण हेतु स्वर्णिम भारत मंच को वाहन उपलब्ध कराया है, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण शहर में भोजन वितरण किया जा रहा है। स्वर्णिम भारत मंच की भोजन सेवा अभी भी चल रही है जबकि कई संस्थाओं ने 31 मई को ही भोजन वितरण करना बंद कर दिया था।
स्वर्णिम भारत मंच के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संकट से आम जन ही नहीं बल्कि सक्षम लोगों की भी जीविका बेपटरी हो गयी है। ऐसे में बेघर बेसहारा लोगों की दयनीय स्थिति हो चुकी है, उन्हें ना कोई काम मिल रहा है ना ही खाने को। ऐसे हालात में स्वर्णिम भारत मंच उनकी तकलीफों में भोजन का सहयोग कर रहा है। आगे भी स्वर्णिम भारत मंच का प्रयास रहेगा कि कोई भी असहाय भूखा न रहे।
बुजुर्गों की हो रही है फजीहत : कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा किसी को परेशानी है तो उन बुजुर्गों की है जिन्हें कोई देख रेख करने वाला नहीं है क्योंकि कोरोना सबसे ज्यादा वृद्धजनों को ही शिकार बनाता है। ऐसे में पहले की तरह हर कोई अब वृद्ध लोगों की सेवा नहीं कर रहा है। कहीं-कहीं तो खुद के बेटे बहू भी स्वयं व अपने बच्चों को दादा-दादी के पास नहीं जाने देते हैं तो बे सहारा वृद्धजनों की तो अधिक दुर्गति हो रही है।
90 दिनों में 94 हजार भोजन पैकेट का वितरण : एक मात्र स्वर्णिम भारत मंच ऐसा संगठन है, जिसने 22 मार्च से अब तक लगातार भोजन वितरण किया है। नगर पालिक निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए वाहन से दिन रात भोजन सेवा चल रही है। वाहन चालक ताराचंद ने भी बेमिसाल सेवा करने का उदाहरण पेश किया है। स्वर्णिम भारत मंच 90 दिनों में 94 हजार भोजन पैकेट का निर्माण कर बे सहारा लोगों में वितरण कर चुका है।
सूचना आते ही भोजन पहुँचाना प्राथमिकता बन गयी : स्वर्णिम भारत मंच की भोजन शाला सतत चल रही है। भले कई संस्थाओं व प्रशासन की नजरों में अब कोई जरूरमंद नहीं बचा हो, पर स्वर्णिम भारत मंच के पास लगातार बेबस लोगों की जानकारी आ रही है, जिनको भोजन की बेहद जरूरत है, क्योंकि अनलॉक होने से बेचारे बेबस लोगों को कोई मदद देने भी नहीं जा रहा है। यदि वे किसी को मदद के लिए बोलते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है पर स्वर्णिम भारत मंच के पास सूचना आते ही पहली प्राथमिकता से भोजन दिया जाता है ताकि कोई भी भूखा न रहे।