देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्योग को बढ़ावा जरूरी
लघु उद्योग भारती महिला इकाई द्वारा आयोजित वेबीनार में उद्योग लगाने के लिए दिया मार्गदर्शन
उज्जैन। लॉकडाउन से आर्थिक स्तर पर पिछड़ चुके देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब देश में ही कई उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए लघु उद्योग भारती महिला इकाई, उज्जैन द्वारा लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों के लिए एक वेबीनार आयोजित किया गया। इसमें एमएसएमई के डायरेक्टर डी.सी. साहू, डीआईसी के महाप्रबंधक ए.आर. सोनी, लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष महेश गुप्ता व एलडीएम अरुण गुप्ता, संभाग अध्यक्ष सतीश मुकाती, कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती सीमा वैद्य, एमएसएमई असिस्टेंट डायरेक्टर अनुज्ञा एवं अतीत अग्रवाल ने उद्योग स्थापित करने के विषय में जानकारी दी।
एमएसएमई के डायरेक्टर डीसी साहू ने बताया कि एमएसएमई की ब्याज दर ९.५ प्रतिशत निश्चित है। एमएसएमई के तहत यदि किसी को लोन चाहिए तो लोन व व्यवसाय शुरू करने के बाद बैंक को एक वर्ष तक लोन चुकाने की आवश्यकता नहीं है। एक वर्ष तक न ब्याज भरना होगा और न किस्त बनेगी। एक साल के बाद ही व्यवसाय करने वाले की किस्त शुरू होगी। २५ करोड़ तक का लोन एमएसएमई के माध्यम से मिल सकेगा। नई जो योजना केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई है उसके तहत ३१ अक्टूबर तक योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं भरना है। उद्योगों के लिए वित्तमंत्री ने पैकेज की घोषणा की है। इसमें इकोनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी, डिमांड है। श्री साहू ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब लोकल ब्रांड है। सरकार ने लघु उद्योगों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। पॉवर जनरेटिंग कंपनियों को ९० हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे जनरेटिंग कंपनियों को लाभ होगा। सरकार ने माइक्रो, स्मॉल, मीडियम सभी को बढ़ावा देने के लिए पैकेज में प्रावधान किया है।
महिला इकाई की अध्यक्ष सुमिना लीग्गा ने कहा कि अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर जाने के लिए सरकार ने उद्योगों के लिए छोटे कारोबारियों के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की। इन योजनाओं को समझकर इनसे फायदा लेने की कोशिश करें। मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है। एमएसएमई के सहयोग से ही भारत आत्मनिर्भर बनेगा और आगे बढ़ेगा।
अरुण गुप्ता ने कहा कि बैंक के पास सभी स्कीम निरन्तर जारी है। एमएसएमई की जो नई स्कीम आई है, जिसमें २५ प्रतिशत सरकार देगी। एक साल तक कुछ नहीं देना है। अगले चार साल में किस्त भरना है। ऋण सीमा २५ करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिए। टर्न ओवर १०० करोड़ तक का रखा है। कोई अतिरिक्त खर्च नहीं लगेगा। दस्तावेज का खर्च अवश्य रहेगा। यदि कोई नया उद्योग शुरू कर रहा है तो उसे भी लोन दिया जा रहा है। पहले से चल रही यूनिट को भी यदि ऋण की और आवश्यकता है तो उसे भी ऋण प्रदान किया जाएगा। श्री गुप्ता ने वेबीनार में शामिल सभी सदस्यों के प्रश्नों का समाधान कर सभी का मार्गदर्शन किया।
तृप्ति वैद्य ने कहा कि लॉकडाउन के कारण आत्मनिर्भर भारत का जो नारा है, उसे साकार करने का एक अच्छा अवसर है। केन्द्र ने जो योजनाएँ लांच की है, हम सभी के लिए वह बहुत लाभदायक है। एमएसएमई के माध्यम से जो भी उद्योग से जुड़ना चाहते हैं, वे जुड़ सकते हैं। आर्थिक सहयोग सबसे बड़ा महत्वपूर्ण अंग है, आर्थिक सहयोग कैसे मिले, यही सबसे बड़ी समस्या हे। उद्योग को गतिमान बनाने के लिए आर्थिक सहयोग होना चाहिए। इसी दौरान एमएसएमई की पॉलिसी केन्द्र सरकार की ओर से कुछ घोषणाएँ हुईं, यह जानकारी हमें व्यवस्थित मिलना चाहिए, इस देखते हुए लघु उद्योग भारती महिला की ओर से एक प्रयास किया गया है।
संभाग अध्यक्ष सतीश मुकाती ने तृप्ति वैद्य व सुमिना लीग्गा को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि इससे काफी जानकारियाँ सबको मिली। महिलाओं को भी घर बैठे उद्योग से संबंधित सभी जानकारी मिली। अंजू बजाज ने कहा कि यह वेबीनार बहुत अच्छा आयोजित किया गया है। इसमें और महिलाओं को जोड़ा जा सकता है। महिलाएँ और आगे बढ़ सकती हैं। अंत में महेश गुप्ता ने सभी को ऐसे कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यक्रम का लाभ उठाने की अपील की। वेबीनार की सम्पूर्ण परिकल्पना एवं संचालन लघु उद्योग भारती महिला इकाई की सचिव तृप्ति वैद्य ने की।
वेबीनार में शिल्पा जैन, अंजू बजाज, महेश गुप्ता, रचना शुक्ला, संजय गाढ़वे, दीपिका जैन, तृप्ति वैद्य, सीमा वैद्य, प्रनीता शिंदे, अरुण गुप्ता, ज्योति केदार, सुमिना जैन, राजेश माहेश्वरी, रेणु नायक, रोशन मेन, नीलेश चंदन, नीलम कालरा, सतीश मुकाती, प्रीति लाल, राधिका, अनिल जैन, सरिता विजयवर्गीय, ऋषि, शेफाली, राजेश माहेश्वरी उल्लास वैद्य आदि उपस्थित थे।