जिला प्रशासन द्वारा अभिभाषकों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी
जिला अभिभाषक संघ उज्जैन ने दी चेतावनी
उज्जैन। संपूर्ण देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की स्थिति में जिला न्यालय उज्जैन में सारे न्यायिक कार्य (आवश्यक कार्यों के अतिरिक्त) बंद थे। 7 जून पश्चात जिला न्यायालय, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश उपरांत फिर कार्य प्रारंभ होना है। परंतु इस लॉकडाउन के दौरान व. अनलॉक करने की बैठकों में कलेक्टर आशीषसिंह सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का अधिवक्ताओं के प्रति जो रवैया रहा है वह निंदनीय है।
जिला अभिभाषक संघ उज्जैन के अध्यक्ष अशोक यादव के अनुसार जिला अभिभाषक संघ उज्जैन में लगभग 3000 अधिवक्ता है जो जिले के बुद्धिजीवी वर्ग में शुमार होकर विधि व्यवसाय से जुड़हरन्यायिक सेवा के रूप में अपना व्यवसाय व जनसेवा करते है। लॉकडाउन की स्थिति में अधिवक्ताओं के साथ प्रशासन और पुलिस का व्यवहार उपेक्षापूर्ण रहा। इस अवधि में जूनियर अधिवक्ताओं को अत्यधिक परेशानी का सामना तो करना ही पड़ा वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने इन जूनियर सहित सीनियर अभिभाषकों के साथ दुर्व्यवहार किया। आश्चर्य का विषय है कि लॉकडाउन व अनलॉक के गंभीर व चिंतन की स्थिति में जिला अभिभाषक संघ को जिला प्रशासन को आवश्यक बैठकों व चर्चाओं में दरकिनार कर अकर्मण्यता, स्वेच्छाचारिता व प्रशासनिक अक्षमता का परिचय दिया है।
न्यायालय 8 जून से प्रारंभ हो रहे हैं लेकिन अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य व सुरक्षा की दृष्टि से आज दिनांक तक जिला प्रशासन व नगर निगम अधिकारियों द्वारा जिला न्यायालय को सर्विस बिल्डिंग व अभिभाषकों के बैठने के स्थान को सेनिटाईज नहीं किया गया। जिला अभिभाषक संघ उज्जैन अध्यक्ष अशोक यादव ने कहा कि इस उपेक्षा को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा व इसे गंभीरता से लेकर शीघ्र ही कार्यकारिणी की बैठक आयोजित कर जिलाधीश व प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध भोपाल जाकर मुख्यमंत्री को स्थिति से अवगत कराएंगे।
जिला प्रशासन द्वारा अभिभाषकों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी जिला अभिभाषक संघ उज्जैन ने दी चेतावनी