केंद्र की दोहरी नीति से उजड़ जाएगी मंडियां, मॉडल एक्ट की विसंगतियां दूर करे सरकार
उज्जैन। प्रदेश की कृषि उपज मंडी में मॉडल एक्ट लागू होने के बाद मंडी संचालन एवं कारोबार में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। एक्ट की दोहरी नीति लागू होने के बाद मंडियों का कारोबार समाप्त हो जाएगा। आवक प्रभावित होगी। राजस्व में भी कमी हो जायेगी, जिससे मंडियां उजड़ जाएंगी। एक्ट की विसंगति को दूर करना चाहिए। यह मांग अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने सरकार से की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल, महामंत्री प्रकाश तल्लेरा ने बताया कि मॉडल एक्ट के अनुसार मंडी प्रांगण के बाहर कृषि उपज का कारोबार मंडी शुल्क एवं मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया है। मंडी के कारोबारियों को अधिनियम का पालन करना होगा तथा शुल्क भी देना होगा। इस दोहरी नीतियों से मंडियों में कारोबार प्रभावित होगा। बाहर की निजी मंडियों से प्रतिस्पर्धा नहीं हो पायेगी, किसान भी परेशान होगा। प्रकाश तल्लेरा ने बताया कि वर्तमान में एक्ट के आधे अधूरे लागू होने के बाद ही कारोबार डगमगाने लगा है। आटा एवं सोया प्लांट बगैर अनुज्ञापत्र के कारोबार करने लगे हैं। बता दे मंडी के बाहर मंडी शुल्क नहीं होने से अनुज्ञापत्र की उपयोगिता समाप्त हो गई है। महासंघ की मांग है कि माडल एक्ट में मंडी एवं मंडी परिसर के बाहर दोनों जगह एक जैसी नीति होना चाहिए। अनुज्ञापत्र एवं मंडी शुल्क मंडी प्रांगण में भी समाप्त होना चाहिए। मंडियों के संचालन व्यवस्था के लिए आधा फीसद सेवा शुल्क लगाना चाहिए, ताकि मंडी में स्थानीय करोड़ों रुपये के गोडाउन एवं निर्मित भवनों का रख-रखाव हो सके। मामले को लेकर महासंघ जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर समस्या से अवगत करवाएगा।
केंद्र की दोहरी नीति से उजड़ जाएगी मंडियां, मॉडल एक्ट की विसंगतियां दूर करे सरकार