ऑटो चालकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा

ऑटो चालकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा
उज्जैन। भारतीय मजदूर संघ की औद्योगिक इकाई भारतीय प्रायवेट ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ (म.प्र.) के सभी जिले में यूनियन पंजीकृत करवाकर जनहित में कार्य कर रहा है। इसी तारतम्य में मुख्यमंत्री से वाहन चालक/ परिचालकों की समस्याएं निराकरण करने की माँग की। संघ के सदस्यों ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर विभिन्न माँग रखी।
उज्जैन ऑटो चालक संघ, उज्जैन के जिलाध्यक्ष नंदकिशोर सोलंकी ने मुख्यमंत्री से माँग की कि समस्त आटो रिक्शा/ई-रिक्शा चालकों को शासन द्वारा कुशल श्रेणी के मान से 70 दिनों की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए या फिर न्यूनतम रु. २० हजार की आर्थिक सहायता स्वीकृत की जाए। सभी वाहन चालक/परिचालक वर्तमान में भारी आर्थिक संकट का
सामना कर रहे हैं, लेकिन म.प्र. सरकार द्वारा आज तक उन्हें कोई आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की गयी है। वाहन चालक/ परिचालक व उनसे जुड़े परिवारों के पेट भरण की समस्याएं बनी हुई है, जिस प्रकार शासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को स्वरोजगार हेतु 10-10 हजार रुपया बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है। उसी प्रकार वाहन चालकों को भी 30-30 हजार रुपए बिना ब्याज के लोन स्वीकृत किया जाए, जिससे वाहन चालक/ परिचालक अपने वाहनों के दस्तावेज तैयार करवाकर कार्य आरंभ करवा सके। यदि यह संभव नहीं हो तो सभी वाहन चालकों/परिचालकों को एक वर्ष के लिये बिना शुल्क के वाहन संचालन, बीमा, फिटनेस की सुविधा प्रदान की जाए। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सफेद राशनकार्ड वालों को प्रतिमाह राशन देना प्रारंभ किया जाए जो वर्तमान में नहीं मिल रहा है। चालक परिचालकों का पोर्टल पर पंजीयन ज्यादा से ज्यादा किया जाए, छोटे-छोटे जिलों में कमर्शियल बैज देने का काम बहुत धीमा हो रहा है या यूँ कहे काम रूका हुआ है, उसे पुन: आरंभ करवाया जाए तथा आरटीओ विभाग द्वारा केम्प लगवाकर बैज देना आरंभ करवाया जाए। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान में 8 वर्ष पुराने वाहनों से ग्रीनटेक्स लिया जा रहा है। संघ मांग करता है कि छोटे वाहनों जैसे ऑटो, टेम्पो, मैजिक से ग्रीन टेक्स न लिया जाए, क्योंकि यह सभी कम सिटिंग केपेसिटी एवं स्वरोजगार योजना के अंतर्गत संचालित होते हैं और 10 से 15 वर्ष के बाद अटाला कर दिये जाते हैं, ऐसे में ग्रीन टैक्स लेना न्याय संगत नहीं है। अतएव छोटे वाहनों से ग्रीन टैक्स माफ किया जाए। वर्तमान में प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय द्वारा फीस आनलाईन जमा करवाई जाती है, जिससे एक कागज बनवाने में लगभग 100 से 150 रुपये अतिरिक्त देना पड़ता है। संघ मांग करता है कि 500 रुपये तक की फीस केश काउन्टर पर जमा करवाई जाए, जिससे ऑटो टेम्पो वालों को प्रति तिमाही परमिट बनवाने मे अतिरिक्त शुल्क ना देना पडे।