रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु आयुर्वेद से बेहतर कोई विकल्प नहीं

वर्तमान में कोरोना महामारी से लड़ने हेतु विश्व के अनेक देशों में शोध हो रहे है किंतु मेडिकल साइंस को अब तक कोई संतोषप्रद समाधान प्राप्त नहीं हुआ है। विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाव हेतु आवश्यक है कि आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात आपकी इम्यूनिटी स्ट्राँग हो।
'एक ओर जहाँ दुर्बल रोग प्रतिरोधक क्षमता होने पर संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है, वहीं संक्रमित होने पर शरीर में दुर्बलता आती ही हैÓ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु आयुर्वेद से बेहतर अन्यत्र कोई विकल्प नहीं है। स्पष्टतया उपरोक्त दोनों परिस्थितियों में प्रभावी औषधियों का चयन एक कुशल वैद्य ही कर सकता है, अत:आयुर्वेद चिकित्सा का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों के परामर्श के बिना हितकारी नहीं होता है।
सौभाग्यवश विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति में अनेकों ऐसी औषधियाँ एवं उनके योग है जो ऐंटीवाइरल होने के साथ साथ इम्यूनोबूस्टर भी होती है जैसे-
गुड़ूची, भल्लातक, अश्वगंधा, याष्टीमधु, भुम्यामलकी, कालमेघ, शिलाजतु, त्रिफला, त्रिकटु, च्यवनप्राश, विविध प्रकार के आसव-अरिष्ट आदि।
इन औषधियों का सेवन उचित परामर्श में करने पर रोगी निश्चित ही आरोग्य प्राप्त करता है। आयुर्वेद की प्रभावशाली शोधन चिकित्सा अर्थात पंचकर्म शरीर को डीटॉक्सिफ़ाई करती है। स्वस्थ रहने एवं बेहतर इम्यूनसिस्टम हेतु नित्य व्यायाम तथा शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। कुछ आसान योगासनों जैसे पद्मासन, पर्वतासन, वृक्षासन, सूर्यनमस्कार इत्यादि का नियमित अभ्यास तथा अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन), भ्रस्त्रिका, उज्जयीश्वास आदि प्राणायामों और योगमुद्राओं का भी नित्य अभ्यास करना चाहिए।
एक स्वस्थ एवं सुखी जीवन जीने हेतु जो आदर्श दिनचर्या व ऋतुचर्या आयुर्वेद में वर्णित है वह अन्यत्र नहीं! अत: शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य की सुलभ प्राप्ति हेतु हमें अपने दैनिक जीवन में आयुर्वेद व योग के नियमों की अनुपालना हेतु सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। 'स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा रोगी को आरोग्य देनाÓ यही तो आयुर्वेद का लोकमंगलकारी प्रयोजन हैं।