जनसंख्या विस्फोट नहीं होता तो तस्वीर बेहतर होगी, जनसंख्या नियंत्रण कानून तुरंत जरूरी

 यदि आज भारत में जनसंख्या विस्फोट नहीं होता तो विश्व में भारत की एक अलग ही तस्वीर होती। हमारे देश में गरीबी का प्रतिशत अधिक है, शिक्षा का स्तर भी कम है, मेडिकल लाइन में लाखों डाक्टरों तथा चिकित्सा विशेषज्ञों की आवश्यकता है। चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल सहित अनेक संसाधनों की कमी के कारण भारत बहुत संघर्ष कर रहा है। हमारा दुर्भाग्य है कि, एक सौ उनचालिस करोड की आबादी वाले भारत में आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसा हे जिससे देश को परिणाममूलक उत्पादन प्राप्त नहीं हो रहा है। ६५ प्रतिशत युवा आबादी वाला भारत अपने युवाओं का सही तथा रोजगार उत्पादित उपयोग करने में असमर्थ है। युवाओं के लिये कोई नीति ही नहीं है, देश के अर्थशास्त्री चुप बैठे है।


       चीन ने अपनी युवा शक्ति का उपयोग कि, एक बड़ी आबादी का उपयोग उसने देशों की उन्नति के लिये किया। उसने प्रत्येक क्षेत्र में अपने झंड़े गाड दिये। वहां कृषि एवं औद्योगिक निर्माण प्रगति पर है। चीन की नीति, राजनीतिक कम, कूटनीतिक ज्यादा है। लोकतांत्रिक मूल्यों का उतना ही उपयोग करता है, जितनी की उसे आवश्यकता है, या करता ही नहीं है।


       बढ़ती आबादी भारत के विकास में बाधा बनी हुइ है। इस वर्ष १ जनवरी २०२० को नये साल के पहले दिन पूरे विश्व में ३ लाख ९२ हजार ७८ बच्चों का जन्म हुआ था। इनमें सबसे ज्यादा ६७ हजार ३८५ बच्चे भारत में जन्में है। दूसरे नंबर पर चीन है, जहां ४६ हजार २९९ बच्चे पैदा हुए, यानि २१ हजार ८६ बच्चे भारत में अधिक पैदा हुए। वर्ष २०१९ में चीन की आबादी १ अरब ४३ करोड थी और भारत की आबादी १ अरब ३७ करोड थी, अर्थात हम चीन से सिर्फ ६ करोड़ पीछे, यह अंतर अब और कम हो गया होगा। हम दो तीन वर्षों में आबादी के मामले में चीन से आगे निकल जायेंगे।


       अभी भी समय है, भारत को तुरंत जरसंख्या नियंत्रण नीति बनाना होगी, वरना देश की स्थिति बिगड़ जायेगी, क्योंकि उत्पादन, शिक्षा, रोजगार तथा स्वास्थ्य के मामले में यूरोपियन देशों से बहुत पीछे है।