उज्जैन। शुक्रवार को हुए वार्ड आरक्षण के बाद राजनीतिक समीकरण की तैयारी शुरू हो गई है। स्थानीय नगरीय निकाय के चुनाव इस वर्ष के अंत में हो या अगले वर्ष के प्रारंभ में स्थितियाँ देरी के साथ और ज्यादा समस्याकारक हो जाएगी। यह स्थिति दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए रहेगी। वार्ड 50 में एक बार फिर से विद्रोह का बिगुल बजना तय माना जा रहा है। यहां ब्राह्मण और क्षत्रिय इस बार अपना दावा करेंगे और हक भी मांगेंगे।
शुक्रवार को हुए वार्ड आरक्षण में वार्ड 50 सामान्य महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इस आरक्षण के साथ ही ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों ही समाज सक्रिय हो गए हैं। मूल रूप से पूरे ऋषिनगर के साथ पंचमपुरा इस वार्ड में शामिल है। करीब 13 हजार से अधिक मतदाता यहां है। मूलत: यह वार्ड सवर्ण मतदाताओं से भरा पड़ा है। अन्य पिछड़ा वर्ग की कई उपजातियां भी सवर्णों के साथ है। ऐसे में इस वार्ड पर पूर्व में पिछड़ा वर्ग पुरुष, सवर्ण पुरुष और सवर्ण महिला का प्रतिनिधित्व यहां रह चुका है। भारतीय जनता पार्टी का यह वार्ड गढ़ माना जाता रहा है। यहां अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है तो ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज दोनों दलों से उपेक्षित रहे हैं। इस बार सामान्य महिला आरक्षण की स्थिति को देखते हुए पिछली बार की तरह ही जागरूक नागरिकों ने ब्राह्मण और क्षत्रिय के दावों को जायज माना है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए यहां से ब्राह्मण और क्षत्रिय में से ही अपना महिला प्रत्याशी चयन करना हितकर होगा। अन्दर ही अन्दर ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों समाज के मतदाताओं का मानना है कि दोनों ही दलों ने मतदाताबल अधिक होने के बावजूद दोनों ही जातियों को उपेक्षित भाव में अब तक देखा है। इसके विपरीत कायस्थ मतदाताओं की संख्या कम होने के बावजूद प्रतिनिधित्व दिया जा चुका है। पिछड़ा वर्ग से पूर्व में भाजपा ने अशोक वर्मा और जागरूक नागरिकों की ओर से निर्दलीय के रूप में वर्तमान में विकास मालवीय को निर्दलीय प्रत्याशी निर्वाचित किया गया था। अब तक यहां भाजपा का ही पार्षद निर्वाचित होता रहा है। ऐसे में भाजपा से ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों ही जातियों की अपेक्षाएं ज्यादा है। संघ की सेवाओं और कार्यकर्ताओं में भी इस वार्ड में अपना ही एक वजूद है। संघ के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता इस वार्ड में लगने वाली शाखा में स्वयं सेवक रहे हैं। स्व. श्री वैद्य जो कि कुशाभाऊ ठाकरे के अनन्य मित्र रहे एवं अवधूत काले जैसे संघ कार्यकर्ता इस वार्ड में निवासरत रहे हैं। तमाम स्थितियों को देखते हुए बताया जा रहा है कि करीब 6२३ ईकाइ विभिन्न उपजातियों सहित ब्राह्मण एवं २५० से अधिक क्षत्रिय मतदाताओं की इस वार्ड में है। इस आधार पर ब्राह्मण और क्षत्रियों का दावा इस बार मजबूती के साथ सामने आने वाला है। अगर दोनों ही दलों में इन्हें नजरअंदाज किया तो तय है कि यहां एक बार फिर से विद्रोह का बिगुल बज उठेगा और दोनों ही दलों को मुहँ के बल चोट खाकर निर्दलीय को झेलना पड़ेगा।
वार्ड समीक्षा :- वार्ड 50 में इस बार भी भाजपा की डगर कठिन, ब्राह्मण और क्षत्रिय करेंगे दावा