“बड़े सलीके से संभाल कर रखी है हमने उज्जैन और सम्राट विक्रमादित्य के गौरवशाली इतिहास की निशानियां, एक बार तो आईये त्रिवेणी संग्रहालय में”

"सफलता की कहानी" “बड़े सलीके से संभाल कर रखी है हमने उज्जैन और सम्राट विक्रमादित्य के गौरवशाली इतिहास की निशानियां, एक बार तो आईये त्रिवेणी संग्रहालय में”
 
उज्जैन 11 दिसम्बर। शहर के जयसिंहपुरा में स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय में प्राचीन उज्जैन शहर और सम्राट विक्रमादित्य के गौरवशाली इतिहास से सम्बन्धित कई निशानियां, छायाचित्र, मूर्तियां और सिक्के सहेजकर रखे गये हैं। इन पर एक नजर डालने से ही मन गौरवान्वित होने लगता है कि हमारा इतिहास कितना रोचक था और सम्राट विक्रमादित्य ने कई वर्षों तक जिस क्षेत्र में राज किया, उस अवन्तिका क्षेत्र में हम आज रह रहे हैं।
 हाल ही में सम्राट विक्रमादित्य के समय के पुरावशेषों के छायाचित्रों पर आधारित प्रदर्शनी यहां लगाई गई है। इसका शुभारम्भ संभागायुक्त श्री अजीत कुमार ने किया। संभागायुक्त भी छायाचित्रों को देखकर मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके। उन्होंने यहां विजिटर्स बुक में लिखा कि “इस संग्रहालय में विभिन्न ऐतिहासिक कलाकृतियों और विक्रमादित्य कालीन पुरावशेषों के छायाचित्रों को देखना वास्तव में एक अदभुत अनुभव था। यह प्रदर्शनी भारतीय ऐतिहासिक संस्कृति में एक गहरी अन्तर्दृष्टि प्रदान करती है।”
 यह प्रदर्शनी महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन और अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के संयुक्त तत्वावधान में लगाई गई थी। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक डॉ.प्रकाशेन्द्र माथुर बताते हैं कि महाराजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत 57 ईस्वी पूर्व में प्रारम्भ किया था। वे भारतीय राजाओं के आदर्श, धर्मप्रिय और लोककल्याण करने वाले राजा थे।
 भारतीय अस्मिता के प्रतीक सम्राट विक्रमादित्य के समय (प्रथम सदी ईस्वीपूर्व) के समय की पुरातात्विक सामग्री जैसे- सीलें, मुद्राएं, मूर्तिलेख, शिलालेख, सिक्के और प्रचुर मात्रा में साहित्य संग्रहालय में उपलब्ध है।
 महाराजा विक्रमादित्य केवल एक नाम ही नहीं, बल्कि एक उपाधि के रूप में भी भारतीय शासकों को गौरवान्वित करते रहे हैं। जन-सामान्य तक विक्रमादित्यकालीन सामाजिक और पुरातत्वीय सामग्री छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करने का यह एक प्रयास है। यह प्रदर्शनी अगले 15 दिनों तक त्रिवेणी संग्रहालय में लगाई जायेगी। इसके बाद भोपाल, नईदिल्ली और देश के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनी के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की गौरव गाथा का प्रदर्शन छायाचित्रों के द्वारा किया जायेगा। संग्रहालय में लगाई गई प्रदर्शनी में छायाचित्रों में सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्नों, उनके समय के मिट्टी और धातु के कर्णभूषण, मुद्रांक पर उमा-महेश का अंकन, रत्नों की मालाएं, मिट्टी के नन्दी, विक्रमादित्यकालीन मृदभांड पर शिव-पार्वती का अंकन, व्योमकेश शिव, स्वर्णनिष्क दण्डधारी शिव, नाग परिवार के अंकन वाली दुर्लभ मुद्रा, तपस्यारत शिव का अंकन, भारी वजन वाली चौकोर ताम्र मुद्रा, शिव विवाह का अंकन, शिशे से निर्मित मुद्रा, ब्राह्मीलिपि में उज्जयिनी नगर नामक मुद्रा, प्रकृति प्रेम को दर्शाने वाली विक्रमादित्य लेख मुद्रा, जल संरक्षण का सन्देश, शिप्रा नदी का मानवीय चित्रण, सम्राट विक्रमादित्य की मिट्टी की मुहर और हरभव विक्रम शामिल हैं।